Saturday, October 17, 2015

ऐंवे ही





किस बात की खीज है तुमको?

क्यूँ चिढ़े से रहते हो?
इसलिए कि कोई तुमसे बढ़कर है 
या इस लिए कि तुम कमतर हो किसी से
या इसलिए कि तुम्हारे कमतर होने में
तुम्हारी कोई ग़लती नहीं और 
उसके बढ़कर होने में उसका कोई हाथ नहीं 
शायद जात धर्म क़सबे रुतबे वग़ैरह के कारण होगा , है ना? नहीं? 
तो फिर क्यूँ नसीब को रोते हो 
क्यूँ भगवान भरोसे हो 
क्या इसलिए कि ये सब तुम्हारे बस का नहीं 
या इसलिए कि ये सब तुम्हारे लायक नहीं?
तो फिर क्या है 
जो तुम कर सकते हो
क्या है तुम्हारे हक़ का, बताओ? 
एक काम करते हैं....
चलो Mars चलते हैं 
उसके साथ बैठ कर रोते हैं
के जो ज़िंदगी वहाँ पनपने वाली थी
वो उससे छिन कर धरती पर क्यूँ आ गयी
उसका दुःख तुमसे बड़ा है और वो ख़ुद भी 
वो तो अपने काम पर लगा है 
दिन रात गर्दिश में है 
तुम भी काम पर लगो
Mars नहीं झल्लाया तो तुम क्या चिढ़ते हो
किस बात से खीजते हो 
सब कुछ ऐंवे ही है ... ऐंवे ही। 

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